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जब हम पहली नजर में दुनिया को देखते हैं तो हमें बेहद साधारण लगती है, लेकिन असल में यह धरती इतने रहस्यों से भरी हुई है कि जब हम सुनते हैं तो यकीन ही नहीं होता। यहां जानवर, पक्षी, इंसान, महल, नदियां, झीलें, पेड़-पौधे सभी अपने अंदर रहस्यमयी घटनाओं को समेटे हुए हैं जिन पर कोई भी यकीन नहीं कर पाता। आज हम एक ऐसे गांव के बारे में बात कर रहे हैं जहां के लोग ही नहीं बल्कि पशु-पक्षी सभी अंधे हैं। माना जाता है कि ये एक आम बात है, लेकिन ये सच है। यह गांव मेक्सिको में स्थित है।
इस गांव का नाम टिल्टेपेक है। यहां जैपोटेक जनजाति के करीब 300 लोग रहते हैं, जिनमें इंसान और जानवर भी शामिल हैं, जो देख सकते हैं और सभी अंधे हैं। इतना ही नहीं यहां बकरियां, गाय, भैंस भी अंधे हैं। ऐसा नहीं है कि ये लोग जन्म से अंधे हैं। यहां जब कोई बच्चा पैदा होता है तो वह नजर आती है। वह देखने में सक्षम है, लेकिन कुछ दिनों के बाद उसकी दृष्टि धीरे-धीरे कम हो जाती है और वह अंधा हो जाता है।
गांव के लोग अपने अंधे होने के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?
टिल्टेपेक के ग्रामीण अपने अंधेपन का कारण जंगल जैसे गांव में उगने वाले एक विशालकाय पेड़ को बताते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारे गांव में लवजुएजा नाम का पेड़ शापित है। इसे देखकर हम सभी अंध हो जाते हैं।
टिल्टेपेक गांव के बारे में जानें
इस गांव में कुल 70 बिखरी हुई झोपड़ियां हैं। जिसमे करीब 300 लोग रहते हैं। खास बात यह है कि किसी भी घर में खिड़कियां नहीं हैं, क्योंकि कहते हैं कि सूरज की रोशनी हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती। इन लोगों का मुख्य भोजन बाजरी और मिर्च है।
टिल्टेपेक गांव के लोगों के अंधेपन का कारण क्या है?
इंसानों से लेकर जानवरों तक अंधों से भरे इस गांव के अंधेपन का रहस्य था। इसके बाद वैज्ञानिकों की कुछ टीम ने वहां शोध किया और अंधेपन का कारण जानने की कोशिश की। वैज्ञानिकों ने शोध के बाद बताया कि, ‘गांव के लोग गांव में रहने वाले सभी लोगों के अंधेपन के पीछे इसी बात को मानते हैं ‘लवजुएजा’ नाम का वह शापित पेड़ बिल्कुल भी जिम्मेदार नहीं है।
ग्रामीणों का यह अंधविश्वास है कि यह पेड़ शापित है और अंधापन का कारण बनता है। दरअसल, इस अनोखे अंधेपन के लिए एक खास तरह की काली मक्खी जिम्मेदार है। यह मक्खी अत्यधिक जहरीली होती है और टिल्टेपेक और उसके आसपास बड़ी संख्या में पाई जाती है। इस मक्खी का जहर इतना तीव्र होता है कि अगर यह एक बार भी काट ले तो जहर पूरे शरीर में फैल जाता है और जहर का सबसे पहला असर आंखों की नसों पर होता है। आंखों की नसें ब्लॉक हो जाती हैं। इसके कारण चाहे मनुष्य हो या पशु-पक्षी, सभी अंधे हो जाते हैं।’
टिल्टेपेक गांव के लोग कैसे रहते हैं?
यहां के दृष्टिबाधित लोग भी छोटे-मोटे काम करके अपना गुजारा करते हैं। इनका मुख्य और दैनिक भोजन मिर्च और रोटी है, पत्थरों पर सोते हैं, बांस से बने हथियार रखते हैं और त्यौहार भी मजे से मनाते हैं। लगभग हर हफ्ते यहां लोगों का शराब पीने और गाने का कार्यक्रम होता है। इस गांव में पशु, पक्षी, जीव-जंतु, कीड़े-मकौड़े, इंसान सभी अंधे हैं, फिर भी उनके जीवन में आनंद की रोशनी हमेशा मौजूद रहती है।
लोगों को यहां से हटाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं गए
ग्रामीणों को वहां से दूर रहने की हिदायत दी गयी, लेकिन लोगों ने अब अंधेरे को अपना लिया है. वे अपनी मस्ती में मस्त हैं। अंधापन उनके काम में बाधा नहीं डालता। वैज्ञानिकों के अलावा कई लोगों ने भी उन्हें शापित वृक्ष के अंधविश्वास से बाहर लाने का प्रयास किया।