Sunday, 8 September 2024
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जाने क्या हैं पौराणिक कथा जिससे पता चलता है कि हनुमान जी को उनकी गदा कैसे शस्त्र के रूप मैं मिली थी?

आपने देखा ही होगा कि हनुमानजी सदेव अपने साथ गदा रखते हैं और हनुमानजी जो वैसे ही बहुत शक्तिशाली और बलदायी हैं, क्या जानते हैं हनुमानजी को कैसे उनकी गदा मिली उनके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। जानिये हमारे इस आर्टिकल मैं।

पौराणिक कथा में देखे तो हनुमानजी अत्यंत हृष्ट-पुष्ट बालक थे। लेकिन उनका शरीर अत्यंत ही बलवान और शक्तिशाली था। और वे बहुत नटखट हैं। वे ही कारण थे कि उनको बहुत भूख लगती थी। और वे हर समय भोजन की तलाश करते थे।एक समय बाल हनुमान को बहुत भूख लगी और हर जगह खाना ढूंढ रहे थे। जब कहीं पर भी खाना नहीं मिला तो वे सर उठाकर उन्हें आसमान में देखा तो उन्हें लाल रंग कुछ चमकता हुआ नजर आया नन्हे हनुमान को लगा जैसे आसमान मैं लाल रंग का कुछ चमक रहा हैं ये वास्तव मैं मीठा लाल रसीला फल है।

हनुमानजी सूरज को फल समज के खाने को चले गए


फिर उन्हें उड़ान भरी और निकल गए खाने को फल वास्तव में ये कोई फल नहीं ता बल्की उगता हुआ सूरज था। हनुमानजी मैं इतनी शक्ति और सामर्थ था कि वे सूर्यदेव को निगलने चले गए। और हनुमानजी ने सूरज को मुंह में निगल लिया और पुरे संसार में अंधेरा छा गया। और जैसे मानो दुनिया थम गई। सारे देवता घबरा गए और अब क्या होगा। पहले तो देवताओंने हनुमानजी को समझाने का प्रयास किया लेकिन बाल हनुमान हठीले थे। अनहोनी किसी की बात नहीं सुनी।

राजा इंद्र ने हनुमानजी पर प्रहार किया


जब ये देवताओ के राजा इंद्र को पता चली तो उन्होंने हस्तक्षेप किया और हनुमान जी को अपने वज्र से मारा। वह वज्र सीधा हनुमान जी के मुंह पर लगा और उनके मुंह से सूरज बाहर निकल आए। इंद्र के प्रहार से हनुमान जी मूर्छित होकर धरती पर गिर पड़े। इतने में हनुमान जी के पिता पवनदेव वहां पहुंच गए और अपने नन्हें से बालक की ये हालत देखकर बहुत क्रोधित हो उठे।

पवनदेव अपने पुत्र हनुमान की यह स्थिति देखकर बहुत क्रोधित हो गए


पवनदेव ने क्रोधित हो कर सारे संसार से वायु को रोक दिया। सभी जगह हवा चलनी बंद हो गई और धरती पर पशु-पक्षी मरने लगे। ये देखकर उन्होंने पवनदेव के पास भेज दिया गया और उनसे माफी मांगी गई और हनुमाजी को होश में लाया गया और पवनदेव को विनंती की के वो वायु को ना रोके इसे पूरी धरती थम जाएगी।

सभी देवताओं ने हनुमानजी को वरदान के स्वरूप मैं कुछ न कुछ जरूर दिया।


भगवान इंद्र द्वारा गलती हुई थी उन्होंने हनुमान जी को एक वरदान दिया कि उनका शरीर इंद्र के वज्र जितना मजबूत होगा और उनका वज्र भी हनुमान जी को नुकसान नहीं पंहुचा सकता। इंद्र के साथ अन्य देवताओं ने भी उन्हें वरदान दिए। सभी देवताओं के बाद विष्णु भगवान ने हनुमान जी को एक हथियार दिया जो गदा थी। यही गदा जीवनभर हनुमान जी के साथ रही और यही उनका सबसे बड़ा हथियार भी बनी।

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