संसद के बालयोगी ऑडियोटोरियम में फिल्म द साबरमती रिपोर्ट की स्पेशल स्क्रीनिंग हो रही है। फिल्म देखने पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई मंत्री-सांसद पहुंचे हैं।
विक्रांत मैसी स्टारर द साबरमती रिपोर्ट 15 नवंबर को रिलीज हुई थी। यह फिल्म 2002 गोधरा कांड और उसके बाद हुए गुजरात दंगों पर आधारित है। जिस समय यह घटना हुई, उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के CM थे।
मोदी पर भी आरोप लगे कि उन्होंने दंगों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। हालांकि, बाद में उन्हें क्लीन चिट दे दी गई थी।
इससे पहले PM मोदी ने सोशल मीडिया पर फिल्म की सराहना की थी। उन्होंने लिखा था- यह अच्छी बात है कि सच सामने आ रहा है, वो भी इस तरह से कि आम जनता भी इसे देख सके। झूठी धारणा सिर्फ कुछ वक्त कायम रह सकती है, हालांकि तथ्य सामने आता ही है।
UP और MP के CMs ने फिल्म देखी, अपने प्रदेश में टैक्स फ्री भी किया इससे पहले 21 नवंबर को UP के CM योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रिमंडल के साथ फिल्म देखी थी। फिल्म देखने के तुरंत बाद उन्होंने UP में इसे टैक्स फ्री कर दिया था। इसके अलावा मध्य प्रदेश के CM डॉ. मोहन यादव ने भी 20 नंवबर को द साबरमती रिपोर्ट देखी। उन्होंने फिल्म की स्टारकास्ट की तारीफ भी की। मध्य प्रदेश में भी फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया गया था।
विवादों में रही फिल्म, लीड एक्टर विक्रांत मैसी को धमकियां मिलीं द साबरमती रिपोर्ट को लेकर काफी विवाद हुए। फिल्म के लीड एक्टर विक्रांत मैसी को धमकियां मिली थीं। यहां तक कि उनके 9 महीने के बच्चे के बारे में भी अनाप शनाप बोला गया। इस बात का खुलासा खुद विक्रांत मैसी ने दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में किया था। विक्रांत ने कहा कि गोधरा कांड की आग में कइयों ने रोटियां सेंकी हैं, लेकिन जो मारे गए, वे सिर्फ आंकड़े बनकर रह गए।
इसी बीच विक्रांत मैसी ने आज एक फैसला करके सबको चौंका दिया है। उन्होंने फिल्मों से ब्रेक लेने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि 2025 में वे आखिरी बार ऑडियंस से मिलेंगे, जब तक कि समय अनुकूल नहीं हो जाता। विक्रांत के इस फैसले से उनके फैंस के साथ-साथ इंडस्ट्री के लोग भी हैरान हैं।
फिल्म को लेकर विवाद क्यों? दरअसल, मेकर्स और एक्टर्स की दलील है कि उन्होंने गोधरा कांड की असल सच्चाई फिल्म के जरिए दिखाने की कोशिश की है। उनका कहना है कि गुजरात दंगों पर तो खूब बातें होती हैं, लेकिन उसके पहले हुए गोधरा कांड पर चुप्पी साध ली जाती है। ट्रेलर रिलीज के बाद से ही इसे लेकर तरह-तरह के रिएक्शन आए। एक वर्ग ने फिल्म की तारीफ की तो एक धड़े ने इसे प्रोपेगैंडा भी बताया।
गुजरात दंगे से जुड़ी ये जानकारी पढ़ें..
- गुजरात में इस घटना के समय नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। मार्च 2002 में उन्होंने गोधरा कांड की जांच के लिए नानावटी-शाह आयोग बनाया। हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज केजी शाह और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जीटी नानावटी इसके सदस्य बने।
- आयोग ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा सितंबर 2008 में पेश किया। इसमें गोधरा कांड को सोची-समझी साजिश बताया गया। साथ ही नरेंद्र मोदी, उनके मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों को क्लीन चिट दी गई।
- 2009 में जस्टिस केजी शाह का निधन हो गया। जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अक्षय मेहता इसके सदस्य बने और तब आयोग का नाम नानावटी-मेहता आयोग हो गया।
- आयोग ने दिसंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा पेश किया। इसमें भी रिपोर्ट के पहले हिस्से में कही गई बात दोहराई गई।
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1- गोधरा कांड की आग में रोटियां सेंकीं गईं’: इस पर बनी फिल्म करने पर धमकियां
विक्रांत मैसी ने कहा कि उन्हें पता था कि फिल्म का मुद्दा सेंसिटिव है। उन्हें महसूस भी हुआ कि इसे लेकर पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरीके से बात हो सकती है