“भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै” भगवान हनुमान का नाम जहां आ जाता है, वहां से हर मुश्किल, समस्याएं, बुरी बलाएं दूर भाग जाती हैं. हनुमान जी के महत्व को सिर्फ भारतीयों ने ही नहीं, विदेशियों ने भी जान लिया है. इसी वजह से कई विदेशी लोग भारत आकर भगवान के भक्त बन जाते हैं. पर अब तो अमेरिका भी भगवान हनुमान के भरोसे हो गया है. आपने अभी तक अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से जाना होगा, पर अब दुनिया अमेरिका को ‘स्टैच्यू ऑफ यूनियन’ (Statue of Union) के रूप में भी जानेगी. ये भगवान की एक विशाल प्रतिमा का नाम है, जिसे अमेरिका में स्थापित किया गया है.
रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिका के टेक्सास में 18 अगस्त को भगवान हनुमान की 90 फीट ऊंची प्रतिमा (Lord Hanuman statue in Texas USA) का अनावरण हुआ और उसका प्राण प्रतिष्ठान किया गया. ये प्रतिमा अब अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है और इसका नाम रखा गया है स्टैच्यू ऑफ यूनियन. इस मूर्ति को टेक्सास के शुगर लैंड में श्री अष्टलक्ष्मी मंदिर में बनाया गया है. श्री चिन्नाजीयार स्वामिजी के आशीर्वाद से इस मूर्ति की स्थापना हुई और निर्माण कार्य पूरा किया गया.
अमेरिका में भगवान हनुमान की मूर्ति
स्टैच्यू ऑफ यूनियन की वेबसाइट में दावा किया गया है कि ये मूर्ति उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची भगवान हनुमान की मूर्ति है, जिन्हें शक्ति, भक्ति और निःस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है. ट्विटर पर भी इस मूर्ति के वीडियोज पोस्ट किए जा रहे हैं. लोगों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है और भगवान हनुमान की महिमा को बताया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भगवान हनुमान की 25 फीट ऊंची मूर्ति लगाई गई थी, जिसे भारत के वारंगल से मंगवाया गया था.
इस वजह से पड़ा ऐसा नाम
अब चलिए आपको बताते हैं कि इस प्रतिमा का नाम स्टैच्यू ऑफ यूनियन क्यों रखा गया. आप तो जानते ही होंगे कि जब माता सीता का हरण रावण ने कर लिया था, तब भगवान राम ने समस्त वानर सेना को चारों दिशाओं में उनकी खोज करने के लिए भेजा था. तब भगवान हनुमान भारत देश के अंत, यानी रामेश्वरम के पास पहुंचे थे और वहां से उन्होंने लंका के लिए उड़ान भरी थी. माता सीता से वो मिलकर लौटे और भगवान को उनकी सूचना दी और फिर भगवान ने लंका पर चढ़ाई कर रावण का वध किया और माता सीता को दोबारा हासिल किया. भगवान राम और माता सीता को मिलाने में भगवान हनुमान का बहुत बड़ा योगदान है. इस वजह से इस प्रतिमा का नाम स्टैच्यू ऑफ यूनियन रखा गया है. तो क्या आप यहां दर्शन करने जाएंगे?
जानें किसकी है ये कल्पना
इसकी कल्पना पद्म भूषण पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध वैदिक विद्वान परम पूज्य श्री चिन्ना जियार स्वामी ने की थी। यह प्रतिमा उत्तरी अमेरिका के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में काम करने का लक्ष्य रखती है। आयोजकों ने कहा कि यह हनुमानजी की मूर्ति भगवान राम और सीता को फिर से मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करती है।
अनावरण पर हुआ भव्य समारोह
यह उत्सव 15 अगस्त को शुरू हुआ, जो भारत के स्वतंत्रता दिवस के साथ मेल खाता है। मुख्य समारोह 18 अगस्त को भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ संपन्न हुआ। श्री चिन्ना जियार स्वामी जी के नेतृत्व में और कई वैदिक पुजारियों और विद्वानों की देखरेख में, यह अनुष्ठान भक्ति और आध्यात्मिकता का एक शक्तिशाली प्रदर्शन था।
हेलीकॉप्टर से पहनाई गई फूल माला
इस समारोह में एक हेलीकॉप्टर से प्रतिमा पर फूल बरसाना, पवित्र जल छिड़कना और हनुमान की गर्दन के चारों ओर 72 फीट लंबी माला डालना शामिल था। इन अनुष्ठानों के दौरान हजारों भक्तों ने श्री राम और हनुमान के नाम का एक साथ जाप किया।
अमेरिका में हनुमान भक्ति
यह प्रतिमा न केवल हनुमान की अदम्य भावना का प्रतीक है बल्कि अमेरिका के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परिदृश्य में एक नए मील के पत्थर का प्रतीक है। यह उन सभी के लिए भक्ति, शक्ति और एकता के सिद्धांतों का प्रतीक है जो इसकी भव्यता देखने आते हैं।
Prana pratishtha held today in Houston, Texas for this 90ft tall Hanuman murthi