Sunday, 15 September 2024
Trending
देश दुनिया

Janmashtami 2024 : कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व और इतिहास

जन्माष्टमी हिंदू परंपरा के अनुसार तब मनाई जाती है जब माना जाता है कि कृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद महीने के आठवें दिन (ग्रेगोरियन कैलेंडर में अगस्त और सितंबर के साथ अधिव्यपित) की आधी रात को हुआ था। कृष्ण का जन्म अराजकता के क्षेत्र में हुआ था।

कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे जन्माष्टमी वा गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है, एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है।[1] यह हिंदू चंद्रमण वर्षपद के अनुसार, भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के आठवें दिन (अष्टमी) को भाद्रपद के रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है । [2] जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अगस्त व सितंबर के साथ अधिव्यापित होता है।

जन्माष्टमी के अनोखे पहलू: कैसे अलग-अलग जगहों पर मनाते हैं इस त्योहार को

जन्माष्टमी, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी भी कहा जाता है, भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है और देश के विभिन्न हिस्सों में इसे भिन्न-भिन्न तरीके से मनाने की परंपरा है। आइए जानें जन्माष्टमी के कुछ अनोखे और दिलचस्प पहलू:

1. दही हांडी का त्योहार

**महाराष्ट्र और गुजरात में** जन्माष्टमी के दिन “दही हांडी” का आयोजन होता है। इस परंपरा के अंतर्गत, एक गधे की तरह बांधी गई मटकी में दही और मिठाइयाँ भरी जाती हैं। युवा लड़के एक मानव पिरामिड बनाकर मटकी तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। यह खेल भगवान श्री कृष्ण के ‘माखन चोर‘ रूप की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने दही और मक्खन चुराया था।

2. रासलीला का आयोजन

**उत्तर प्रदेश के वृंदावन और मथुरा में** जन्माष्टमी के दिन विशेष रूप से रासलीला का आयोजन किया जाता है। रासलीला, कृष्ण और राधा के प्रेम कथा को नाटकीय ढंग से प्रस्तुत करने वाला नृत्य नाटक है। यह विशेष रूप से वृंदावन में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहाँ भक्त पूरी रात कृष्ण के खेलों और लीलाओं का आनंद लेते हैं।

3. मटकी फोड़ने का आयोजन

**उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों** में, खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार में, जन्माष्टमी के अवसर पर मटकी फोड़ने की परंपरा होती है। इसमें मटकी को गोबर और मिट्टी से बनाए गए बर्तन में सजाया जाता है, और इसे ऊँचाई पर लटका दिया जाता है। युवा और बच्चों की टोली मटकी को तोड़ने के लिए प्रतिस्पर्धा करती है, यह कृष्ण के माखन चोर रूप का प्रतीक है।

4. पवित्र स्नान और व्रत

**गुजरात में** जन्माष्टमी के दिन भक्त पूरे दिन उपवासी रहते हैं और रात भर जागरण करते हैं। लोग व्रत रखते हैं और केवल फल-फूल और दूध से बने पदार्थ खाते हैं। पवित्र स्नान के बाद मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

5. खिचड़ी का प्रसाद

**पंजाब और हरियाणा में** जन्माष्टमी पर विशेष रूप से “खिचड़ी” का प्रसाद बनाया जाता है। इस दिन, मंदिरों में खिचड़ी का वितरण किया जाता है। इसे बड़े श्रद्धा भाव से तैयार किया जाता है और सभी भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

6. हाथी और घोड़े की सजावट

**साउथ इंडिया के कुछ हिस्सों** में, विशेषकर कर्नाटका और तमिलनाडु में, जन्माष्टमी के अवसर पर हाथियों और घोड़ों की सजावट की जाती है। इन्हें चमकदार कपड़े, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है। यह सजावट और परेड एक खास दर्शनीय कार्यक्रम होती है।

7. पारंपरिक वेशभूषा

**ओडिशा में** जन्माष्टमी के दिन लोग पारंपरिक वेशभूषा पहनकर कृष्ण और राधा के रूप में सजते हैं। यह परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखती है। लोगों के द्वारा रासलीला और नृत्य के आयोजन किए जाते हैं, जो दर्शकों को कृष्ण के जीवन की झलक दिखाते हैं।

8. खास भजन संध्या

**राजस्थान में** जन्माष्टमी के दिन भजन संध्या का आयोजन विशेष रूप से धूमधाम से किया जाता है। मंदिरों में भजनों की महफिल सजती है, जहाँ भक्त कृष्ण भक्ति में खो जाते हैं। भजन संध्या के दौरान लोग पूरे दिन और रात भर भजन गाते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं।

9. प्यारे लड्डू और मिठाइयाँ

**साउथ इंडिया के कई हिस्सों में**, विशेषकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में, जन्माष्टमी पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयों का विशेष महत्व है। “उत्तपम”, “वडा”, और “लड्डू” जैसे मिठाइयों का प्रसाद तैयार किया जाता है। इन मिठाइयों को भगवान कृष्ण को अर्पित किया जाता है और भक्तों के बीच बांटा जाता है।

10. व्रत और पूजा की विविधता

जन्माष्टमी के दिन विभिन्न स्थानों पर पूजा और व्रत की अलग-अलग विधियाँ अपनाई जाती हैं। **कर्नाटका, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर भारत के कई हिस्सों** में लोग इस दिन की पवित्रता को बनाए रखने के लिए विभिन्न धार्मिक कृत्यों का पालन करते हैं। इनमें विशेष रूप से रात्रि जागरण, पूजा अर्चना, और भजन कीर्तन शामिल हैं।

इन सभी विभिन्न परंपराओं और अनोखे तरीकों से जन्माष्टमी मनाने का उद्देश्य भगवान श्री कृष्ण की उपस्थिति और उनकी दिव्य लीलाओं की याद को ताजा करना होता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक एकता और विविधता का प्रतीक भी है।

Become a Trendsetter With DailyLiveKhabar

Newsletter

Streamline your news consumption with Dailylivekhabar's Daily Digest, your go-to source for the latest updates.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *