Sarangpur Hanuman: कष्टभंजन देव और श्रावणमास की विशेष पूजा
श्रावणमास हिंदू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण महीना होता है, जिसे विशेष धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ के लिए जाना जाता है। इस माह की शुरुआत के साथ, Sarangpur Hanuman की पूजा में एक खास अनुष्ठान देखने को मिलता है, जो इस माह की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ा देता है। Sarangpur Hanuman, जिसे कष्टभंजन देव के रूप में पूजा जाता है, इस समय के दौरान विशेष रूप से श्रद्धेय होते हैं।
Sarangpur Hanuman की पूजा में विशेषता
Sarangpur Hanuman की पूजा श्रावणमास में एक विशेष रूप से आयोजित की जाती है। इस अवसर पर, Hanuman जी के विग्रह को केदारनाथ और शिव की प्रतिकृतियों के साथ सजाया जाता है। इन प्रतिकृतियों का महत्व धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं में गहरा है।
वाघा पहनने की परंपरा
श्रावणमास की शुरुआत में Sarangpur Hanuman को वाघा पहनाया जाता है। वाघा, जो एक पारंपरिक वस्त्र होता है, को पहनाकर Hanuman जी को सजाया जाता है। यह परंपरा धार्मिक श्रद्धा और आस्था की प्रतीक है, जो Hanuman जी की महिमा को और भी बढ़ा देती है।
धार्मिक महत्व
Sarangpur Hanuman की पूजा के दौरान केदारनाथ और शिव की प्रतिकृतियों के साथ वाघा पहनाने की परंपरा के पीछे गहरा धार्मिक महत्व छिपा हुआ है। यह अनुष्ठान भक्तों को विश्वास दिलाता है कि उनके कष्ट और परेशानियाँ समाप्त हो जाएंगी।
श्रावणमास में इस विशेष पूजा से भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है, और उनकी धार्मिक आस्था को एक नई दिशा मिलती है।
निष्कर्ष
Sarangpur Hanuman की पूजा में केदारनाथ और शिव की प्रतिकृतियों के साथ वाघा पहनाना एक दिव्य अनुष्ठान है जो श्रावणमास की धार्मिक माहौल को विशेष बनाता है। यह परंपरा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि भक्तों की आस्था और समर्पण का प्रतीक भी है।
इस धार्मिक अनुष्ठान को समझना और इसमें भाग लेना न केवल आपके धार्मिक अनुभव को समृद्ध करता है, बल्कि आपको आंतरिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है।