हरि जयंती का पर्व सालंगपुर हनुमानजी मंदिर में इस बार कुछ अलग और खास तरीके से मनाया गया। इस पवित्र अवसर पर कष्टभंजन दादा की प्रतिमा को विभिन्न सब्जियों से सजाया गया, जिसने भक्तों के दिलों में भक्ति और आस्था का नया संचार किया।
सारंगपुर हनुमानजी मंदिर की खास परंपरा
सारंगपुर हनुमानजी मंदिर गुजरात के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां पर देश-विदेश से हर साल लाखों श्रद्धालु हनुमानजी के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और भक्तिमय माहौल के लिए प्रसिद्ध है। हरि जयंती, जो कि हनुमानजी का ही एक स्वरूप माना जाता है, के उपलक्ष्य में इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है।
1000 किलो सब्जियों का दिव्य शृंगार
इस वर्ष हरि जयंती के पावन अवसर पर मंदिर के पुजारियों और सेवकों ने मिलकर कष्टभंजन दादा की प्रतिमा को 1000 किलो सब्जियों से सजाने का अद्भुत कार्य किया। इस अनोखी सजावट में टमाटर, खीरा, गाजर, शिमला मिर्च, बैंगन, लौकी और कद्दू जैसी विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उपयोग किया गया। सब्जियों की इस रचनात्मक सजावट ने न केवल मंदिर को एक अलग ही चमक दी, बल्कि श्रद्धालुओं को भी आकर्षित किया।
सजावट की पवित्रता और महत्व
सब्जियों से की गई इस सजावट का उद्देश्य केवल मंदिर को सुशोभित करना नहीं था, बल्कि यह प्रकृति के साथ समन्वय और उसका सम्मान भी दर्शाता है। सब्जियों को एक आहार के रूप में मानने के अलावा, इस तरह से सजाने का एक पवित्र उद्देश्य यह भी है कि भोजन को भगवान का प्रसाद माना जाता है। सब्जियों की सजावट के बाद उन्हें जरूरतमंद लोगों में वितरित किया जाता है, जिससे समाज में सेवा की भावना का संचार होता है।
भक्तों के लिए विशेष आकर्षण
इस विशेष अवसर पर भक्तों की संख्या में भी काफी वृद्धि देखी गई। दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने कष्टभंजन दादा के दर्शन किए और सब्जियों की इस अद्भुत सजावट का आनंद लिया। मंदिर में होने वाले विशेष पूजन और हवन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए श्रद्धालु सुबह से ही मंदिर परिसर में एकत्रित होने लगे। भक्तों का कहना था कि कष्टभंजन दादा की यह अनोखी सजावट उनके दिलों में भक्ति और आस्था को और भी गहरा कर गई।
समापन
हरि जयंती के इस पावन पर्व पर सालंगपुर हनुमानजी मंदिर में की गई सब्जियों की सजावट ने इस पर्व की पवित्रता को और बढ़ा दिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में प्रकृति और मानव सेवा का भी संदेश देता है। भक्तों ने इस अनोखी पहल की सराहना की और भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की कामना की।