May Destination 2024: 10 best places
1.Udaipur:-
उदयपुर (Udaipur) भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो अपने इतिहास, संस्कृति और अपने आकर्षक स्थलों के लिये प्रसिद्ध है। इसे “पूर्व के वेनिस” के नाम से भी जाना जाता है।
उदयपुर में रेबारी, डाँगी, ब्राह्मण, राजपूत , भील , मीणा के साथ अन्य कई जातियाँ निवास करती हैं। उदयपुर का प्रारंभिक इतिहास सिसोदिया राजवंश से जुड़ा है। एक मत के अनुसार सन् 1558 में महाराणा उदय सिंह – सिसोदिया राजपूत वंश – ने स्थापित किया था। अपनी झीलों के कारण यह शहर झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। उदयपुर शहर सिसोदिया राजवंश द्वारा शासित मेवाड़ की राजधानी रहा है। राजस्थान का यह सुन्दर शहर देश विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए एक सपना सा लगता है। यह शहर ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अनुपम है। किसी समय विलायती प्रशासक जेम्स टोड ने उदयपुर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर “सबसे रुमानी” शहर कहा था
2.Mahabaleshwar:-
महाबलेश्वर (Mahabaleshwar) भारत के महाराष्ट्र राज्य के सतारा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह इसी नाम की तालुका का मुख्यालय भी है। यहाँ समीप ही कृष्णा नदी का उद्गम है, जिस कारणवश यह एक हिन्दू तीर्थस्थान है। पश्चिमी घाट के रमणीय वातावरण से घिरा महाबलेश्वर एक हिल स्टेशन व पर्यटन आकर्षण भी है।
महाबलेश्वर, दक्षिण-पश्चिम महाराष्ट्र राज्य, पश्चिम भारत में स्थित है। महाबलेश्वर मुम्बई (भूतपूर्व बंबई) से 64 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और सतारा नगर के पश्चिमोत्तर में पश्चिमी घाट की सह्याद्रि पहाड़ियों में 1,438 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। महाबलेश्वर नगर ऊँची कगार वाली पहाड़ियों की ढलान से तटीय कोंकण मैदान का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। समशीतोष्ण क्षेत्र के स्ट्रॉबेरी और अन्य फल यहाँ उगाए जाते हैं। निकटस्थ पंचगनी अपने पब्लिक स्कूलों, फलों के परिरक्षण और प्रसंस्करण उद्योग के लिए विख्यात है।
3.Jammu kashmir:-
जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir,J&K) 5 अगस्त 2011 तक भारत का एक राज्य था जिसे अगस्त 2011 में द्विभाजित कर जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। यह राज्य पूर्वतः ब्रिटिश भारत में जम्मू और कश्मीर रियासत नामक शाही रियासत हुआ करता था। इस राज्य का क्षेत्र भारत के विभाजन के बाद से ही भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच विवादित रहा है
जिनमे से तीनों ही पूर्व रियासत के विभिन्न हिस्सों पर आज भी नियंत्रण रखते हैं। जम्मू और कश्मीर हिमालय पर्वत शृंखला के सबसे ऊँचे हिस्सों में स्थित है, और इसे अपनी प्राकृतिक सौंदर्य एवं संसाधनों के लिए जाना जाता है। साथ ही जम्मू , कश्मीर और लद्दाख का इलाका अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहाँ स्थित वैष्णो देवी तथा अमरनाथ की गुफाएँ हिंदुओं के अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ का केंद्र रहा है।
4.Mount Abu:-
माउंट आबू (Mount Abu) भारत के राजस्थान राज्य के सिरोही ज़िले में स्थित एक नगर है। यह अरावली पहाड़ियों में स्थित एक हिल स्टेशन है जो एक 22 किमी लम्बे और 9 किमी चौड़े पत्थरीले पठार पर बसा हुआ है। इसकी सबसे ऊँची चोटी 1,722 मी॰ (5,650 फीट) ऊँचा गुरु शिखर है।
देलवाड़ा मंदिर कई दृष्टियों से ताजमहल से भी अधिक सुन्दर है।
समुद्र तल से 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आबू पर्वत (माउण्ट आबू) राजस्थान का एकमात्र पहाड़ी नगर है । इस शहर का प्राचीन नाम अर्बुदांचल था , इस स्थान पर साक्षात भगवान शिव ने भील दंपत्ति आहुक और आहूजा को दर्शन दिए थे । यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर, जैनियों का प्रमुख तीर्थस्थान तथा राज्य का ग्रीष्मकालीन शैलावास है। अरावली श्रेणियों के अत्यंत दक्षिण-पश्चिम छोर पर ग्रेनाइट शिलाओं के एकल पिंड के रूप में स्थित आबू पर्वत पश्चिमी बनास नदी की लगभग 10 किमी संकरी घाटी द्वारा अन्य श्रेणियों से पृथक् हो जाता है। पर्वत के ऊपर तथा पार्श्व में अवस्थित ऐतिहासिक स्मारकों, धार्मिक तीर्थमंदिरों एवं कलाभवनों में शिल्प-चित्र-स्थापत्य कलाओं की स्थायी निधियाँ हैं। यहाँ की गुफा में एक पदचिहृ अंकित है जिसे लोग भृगु का पदचिह् मानते हैं। पर्वत के मध्य में संगमरमर के दो विशाल जैनमंदिर हैं।
5.Gulmarg:-
गुलमर्ग (Gulmarg) भारत के जम्मू और कश्मीर (केंद्र शासित प्रदेश) का एक हिल स्टेशन है। इसका मूल नाम गौरीमर्ग (Gaurimarg) हुआ करता था, जिसे 16वीं शताब्दी में युसुफ शाह चक ने बदलकर गुलमर्ग कर दिया। इसकी सुंदरता के कारण इसे धरती का स्वर्ग भी कहा जाता है। यह देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक हैं। फूलों के प्रदेश के नाम से मशहूर यह स्थान बारामूला ज़िले में स्थित है। यहाँ के हरे भरे ढलान सैलानियों को अपनी ओर खींचते हैं। समुद्र तल से 2730 मी. की ऊँचाई पर बसे गुलमर्ग में सर्दी के मौसम के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।
गुलमर्ग की स्थापना अंग्रेजों ने 1927 में अपने शासनकाल के दौरान की थी। गुलमर्ग का असली नाम गौरीमर्ग था जो यहाँ के चरवाहों ने इसे दिया था। 16वीं शताब्दी में सुल्तान युसुफ शाह ने इसका नाम गुलमर्ग रखा। आज यह सिर्फ पहाड़ों का शहर नहीं है, बल्कि यहाँ विश्व का सबसे बड़ा गोल्फ कोर्स और देश का प्रमुख स्की रिज़ाॅर्ट है।
6.Gangtok:-
यहां देखने लायक कई स्थान हैं जैसे, गणेश टोक, हनुमान टोक तथा ताशि व्यू प्वांइट। अगर आप गंगटोक घूमने का पूरा लुफ्त उठाना चाहते हैं तो इस शहर को पैदल घूमें। यहां से कंचनजंघा नजारा बहुत ही आकर्षक प्रतीत होता है। इसे देखने पर ऐसा लगता है मानो यह पर्वत आकाश से सटा हुआ है तथा हर पल अपना रंग बदल रहा है।
अगर आपकी बौद्ध धर्म में रुचि है तो आपको इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी जरुर घूमना चाहिए। यहां बौद्ध धर्म से संबंधित अमूल्य प्राचीन अवशेष तथा धर्मग्रन्थ रखे हुए हैं। यहां अलग से तिब्बती भाषा, संस्कृति, दर्शन तथा साहित्य की शिक्षा दी जाती है। इन सबके अलावा आप प्राचीन कलाकृतियों के लिए पुराने बाजार, लाल बाजार या नया बाजार भी घूम सकते हैं।
7.Dharamshala:-
धर्मशाला (Dharamshala) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के काँगड़ा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। धर्मशाला राज्य की शीतकालीन राजधानी है। यह कांगड़ा नगर से 16 किमी की दूरी पर स्थित है। धर्मशाला के मैक्लॉडगंज उपनगर में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के मुख्यालय हैं, और इस कारण यह दलाई लामा का निवास स्थल तथा निर्वासित तिब्बती सरकार की राजधानी है। धर्मशाला को भारत सरकार के स्मार्ट सिटीज मिशन के अंतर्गत एक स्मार्ट नगर के रूप में विकसित होने वाले सौ भारतीय नगरों में से एक के रूप में भी चुना गया है। ऐसी मान्यता है की नगर का नाम धर्मशाला शब्द से उत्पन्न हुआ है।
काँगड़ा क्षेत्र में ब्रिटिश राज के आगमन से पहले धर्मशाला और इसके आस पास के क्षेत्रों में दो सहस्राब्दियों तक कटोच राजवंश का शासन था। 1810 में सिख राजवंश के महाराज रणजीत सिंह तथा कटोच राजा संसार सिंह कटोच के मध्य हुई ज्वालामुखी की संधि के बाद कटोच केवल काँगड़ा क्षेत्र में स्थानीय जागीरदार रह गए। 1848 में क्षेत्र पर अंग्रेज़ों ने कब्ज़ा कर लिया था। 1849 में कांगड़ा जिले के अंदर एक फौजी छावनी के लिए धौलाधार पर्वत की ढलानों पर एक स्थान को चुना गया, जहां एक हिन्दू धर्मशाला स्थित थी।
8.Tirthan Valley:-
तीर्थन घाटी (उच्चारण बंजार) भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में कुल्लू जिले का एक शहर है । तीर्थन घाटी कुल्लू जिले के पांच उपमंडलों में से एक है। तीर्थन घाटी शहर बंजार उप-मंडल और तहसील के मुख्यालय के रूप में कार्य करता है। सांस्कृतिक रूप से, यह सेराज क्षेत्र का एक हिस्सा है जो जलोरी दर्रे से जंजैहली में शिकारी देवी तक फैला हुआ है। कुल्लवी की एक बोली जिसे सेराजी कहा जाता है, इस क्षेत्र में बोली जाती है और यहां के मूल निवासियों को सेराजी भी कहा जाता है। तीर्थन घाटी और जिभी के पर्यटक आकर्षण बंजार क्षेत्र का हिस्सा हैं और बंजार शहर तीर्थन घाटी का मुख्य बाजार है।
तीर्थन नदी बंजार से होकर सहायक नदी पुष्पभद्रा के साथ पर्यटन शहर जिभी से होकर बहती है। बंजार शहर इन दोनों नदियों के संगम पर स्थित है। ‘बंजर मेला’ इस क्षेत्र का प्रमुख त्योहार है जो हर साल मई के महीने में मनाया जाता है।
9.Darjeeling:-
दार्जिलिंग भारत के राज्य पश्चिम बंगाल का एक नगर है। यह नगर दार्जिलिंग जिले का मुख्यालय है। यह नगर शिवालिक पर्वतमाला में लघु हिमालय में अवस्थित है। यहां की औसत ऊँचाई 2134 मीटर (6982 फुट) है। दार्जिलिङ शब्द की उत्त्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे (बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ “बज्रका स्थान है।”भारत में ब्रिटिश राज के दौरान दार्जिलिङ की समशीतोष्ण जलवायु के कारण से इस जगह को पर्वतीय स्थल बनाया गया था। ब्रिटिश निवासी यहां गर्मी के मौसम में गर्मी से छुटकारा पाने के लिए आते थे।
दार्जिलिंग अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यहां की दार्जिलिङ चाय के लिए प्रसिद्ध है। दार्जिलिंग की दार्जिलिङ हिमालयन रेलवे एक युनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा प्रसिद्ध स्थल है। यहां की चाय की खेती 1856 से शुरु हुई थी। यहां की चाय उत्पादकों ने काली चाय और फ़र्मेण्टिङ प्रविधि का एक सम्मिश्रण तैयार किया है जो कि विश्व में सर्वोत्कृष्ट है।दार्जिलिङ हिमालयन रेलवे जो कि दार्जिलिङ नगर को समथर स्थल से जोड़ता है, को 1999 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। यह वाष्प से संचालित यन्त्र भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है।
10.Nandi Hills:-
नंदी हिल्स (अंग्रेजी रूप में नंदीदुर्ग और नंदीदुर्ग शामिल हैं) कर्नाटक राज्य के चिक्काबल्लापुर जिले में गंगा राजवंश द्वारा निर्मित एक प्राचीन हिल स्टेशन है । यह चिकबल्लापुर शहर से 10 किमी और बेंगलुरु से लगभग 60 किमी दूर है । पहाड़ियाँ नंदी शहर के पास हैं। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, पहाड़ियाँ अरकावथी नदी , पोन्नैयार नदी , पलार नदी , पापग्नि नदी और पेन्ना नदी का उद्गम स्थल हैं । नंदी हिल्स पर सूर्योदय देखना पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। भारत द्वारा आयोजित पहला सार्क शिखर सम्मेलन 1986 में नंदी हिल्स में आयोजित किया गया था।
नंदी हिल्स नाम की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियाँ हैं। चोल काल के दौरान , नंदी हिल्स को आनंदगिरि कहा जाता था जिसका अर्थ है खुशी की पहाड़ी। इसे शायद नंदी हिल्स भी कहा जाता है क्योंकि पहाड़ियाँ सोते हुए बैल की तरह दिखती हैं। एक अन्य सिद्धांत यह मानता है कि पहाड़ी का नाम एक प्राचीन, 1300 साल पुराने, द्रविड़ शैली के मंदिर और इस पहाड़ी पर स्थित नंदी (बैल) की मूर्ति के कारण पड़ा है।